मसूरी नगर पालिका चुनाव का माहौल इस बार बेहद गर्म है। अध्यक्ष पद के लिए मुकाबला दिलचस्प हो गया है, क्योंकि यह सीट इस बार ओबीसी महिला के लिए आरक्षित है। विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ-साथ निर्दलीय उम्मीदवार भी अपनी पूरी ताकत झोंक चुके हैं। जनता के बीच उम्मीदवारों को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है, और किसी एक के पक्ष में स्पष्ट झुकाव नजर नहीं आ रहा।
इस बार अध्यक्ष पद के लिए पांच उम्मीदवार मैदान में हैं। सभी अपने-अपने किलों को मजबूत करने में जुटे हैं और विरोधियों के किले को भेदने की रणनीतियां बनाई जा रही हैं। आइए, जानते हैं इन उम्मीदवारों और उनके प्रचार अभियान का विस्तार से हाल।
1. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा): मीरा सकलानी कैंतुरा
भाजपा ने मीरा सकलानी कैंतुरा को अपना प्रत्याशी बनाया है। वे पहले जौनपुर ब्लॉक से जिला पंचायत उपाध्यक्ष रह चुकी हैं। उनकी उम्मीदवारी को मजबूत बनाने के लिए पार्टी ने बड़ी तैयारी की है।
प्रमुख चेहरे:
उत्तराखंड सरकार में मंत्री और मसूरी विधायक गणेश जोशी, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नेहा जोशी, और धनोल्टी विधायक प्रीतम सिंह उनके प्रचार में जुटे हैं।
– रणनीति:
भाजपा ने हर वार्ड में बैठकें कर स्थिति का जायजा लेना शुरू कर दिया है। पूर्व पालिका अध्यक्ष ओपी उनियाल और मंडल महामंत्री कुशल राणा को चुनाव का संयोजक बनाया गया है।
– चुनौतियां:
1. कई वार्डों में सभासद उम्मीदवार खड़ा न कर पाना।
2. टिकट मिलने के बाद कुछ सभासद उम्मीदवारों द्वारा टिकट लौटाने की घटनाएं।
3. संगठन स्तर पर कार्यकर्ताओं में नाराजगी।
इन चुनौतियों के बावजूद भाजपा अपने वरिष्ठ नेताओं के दम पर कार्यकर्ताओं को एकजुट करने की कोशिश कर रही है।
2. कांग्रेस: मंजू भंडारी
कांग्रेस ने मंजू भंडारी को अध्यक्ष पद का प्रत्याशी बनाया है।
पारिवारिक पृष्ठभूमि:
मंजू भंडारी के पति तीन बार नगर पालिका के सभासद रह चुके हैं। उनके परिवार में पहले भी उनके ससुर पालिका के सदस्य रह चुके हैं। खुद मंजू भंडारी पिछले चुनाव में वार्ड नंबर 3 से कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ चुकी हैं।
– समर्थन:
हर छेत्र से मजबूत सभासद उतारकर कांग्रेस ने बड़ा गेम प्लान चला है ।मंजू भंडारी को कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का समर्थन मिला है। इनमें पूर्व विधायक जोत सिंह गुनसोला, पूर्व पालिका अध्यक्ष मनमोहन सिंह मल्ल, और कांग्रेस के प्रमुख नेता शामिल हैं।
– चुनौतियां:
कांग्रेस का प्रचार अभी अपेक्षाकृत धीमा नजर आ रहा है। पार्टी के भीतर जोश की कमी साफ झलक रही है। हालांकि, आगामी दिनों में कांग्रेस अपनी रणनीति में बदलाव कर सकती है।
3. निर्दलीय: उपमा पंवार गुप्ता
पूर्व पालिका अध्यक्ष अनुज गुप्ता की टीम से उपमा पंवार गुप्ता निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में हैं।
– पहली बार चुनाव:
उपमा पंवार गुप्ता पहली बार बाल्टी चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ रही हैं।
– युवाओं का समर्थन:
उपमा की टीम में सबसे ज्यादा युवा जुड़े हुए हैं।
– चुनौतियां:
पिछली पालिका बोर्ड पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप उनके लिए सबसे बड़ी बाधा हैं। भाजपा और कांग्रेस दोनों इन मुद्दों को अपने प्रचार में जोर-शोर से उठा रही हैं।
4. निर्दलीय: शकुंतला पंवार
शकुंतला पंवार टॉर्च चुनाव चिन्ह पर मैदान में हैं।
– पारिवारिक पृष्ठभूमि:
उनके परिवार से पहले भी उनकी जेठानी बीना पंवार पालिका की सभासद रह चुकी हैं।
– शुरुआत में हल्का प्रचार:
शुरुआत में उनका चुनाव अभियान धीमा माना जा रहा था, लेकिन अब उनके प्रचार में तेजी आई है।
– टीम:
उनके पति मिंटू पंवार और जेठ बॉबी पंवार के नेतृत्व में उनकी टीम मतदाताओं के बीच सक्रिय है।
5. निर्दलीय: नैन्सी पंवार
नैन्सी पंवार मोमबत्ती चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ रही हैं।
– समर्थन:
बेरोजगार संघ के अध्यक्ष बॉबी पंवार ने उन्हें समर्थन दिया है। नामांकन के समय भी वे नैन्सी के साथ दिखाई दिए।
– पारिवारिक पृष्ठभूमि:
उनके पति मोहन कैंतुरा पत्रकार हैं।
– चुनौतियां:
नैन्सी का प्रचार अभी हल्का नजर आ रहा है। हालांकि, आने वाले दिनों में उनके रणनीतिक बदलाव चुनाव को प्रभावित कर सकते हैं।
चुनाव का माहौल और संभावनाएं
मसूरी नगर पालिका चुनाव इस बार काफी रोचक बन चुका है। भाजपा, कांग्रेस और निर्दलीय प्रत्याशियों के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है।
1.भाजपा का मजबूत संगठन और सत्ता में होने का लाभ उसे बढ़त दे सकता है, लेकिन कार्यकर्ताओं की नाराजगी और टिकट विवाद उसके लिए नुकसानदायक हो सकते हैं।
2. कांग्रेस के दमदार सभासद मैदान में फिर भी प्रचार अभियान में और जोश लाना होगा।
3. निर्दलीय उम्मीदवार खासकर उपमा पंवार गुप्ता और शकुंतला पंवार, बड़ी चुनौती पेश कर सकती हैं।
जनता के लिए चुनाव का महत्व
चुनाव में जनता का मूड अभी साफ नहीं है। उम्मीदवारों की प्रचार शैली और रणनीति आने वाले दिनों में जनता का रुझान तय करेगी। किसके सिर ताज सजेगा, यह देखना बेहद दिलचस्प।