शारदीय नवरात्रि, देवी पूजा को समर्पित एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो शरद ऋतु में मनाया जाता है। यह पर्व वर्ष में दो बार मनाया जाता है: चैत्र माह में वासन्तिक नवरात्रि और आश्विन माह में शारदीय नवरात्रि। शारदीय नवरात्रि के बाद दशमी तिथि को विजयदशमी (दशहरा) का पर्व भी मनाया जाता है।
शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व इसलिये है कि इसी समय देवताओं ने दैत्यों से पराजित होकर आद्या शक्ति की प्रार्थना की थी। देवी मां के प्रकट होने के बाद दैत्यों का संहार हुआ, और इसी पावन स्मृति में यह महोत्सव मनाया जाता है।
नवरात्रि के नौ दिनों में दैवीय तत्त्व अन्य दिनों की तुलना में 1000 गुना अधिक सक्रिय होता है। इस समय दैवीय तत्त्व की सूक्ष्म तरंगें पूरे ब्रह्मांड में फैलती हैं, जिससे अनिष्ट शक्तियां नष्ट होती हैं और ब्रह्मांड की शुद्धि शुरू होती है। पहले तीन दिनों में दैवीय तत्त्व सगुण-निर्गुण होता है, जबकि अंतिम तीन दिनों में निर्गुण तत्त्व की मात्रा सर्वाधिक होती है।
इस प्रकार, शारदीय नवरात्रि केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक अनुभव भी है, जो भक्तों को ऊर्जा और शक्ति प्रदान करता है।नवरात्रि के दौरान मां शैलपुत्री को सफेद और शुद्ध भोग्य खाद्य पदार्थ पसंद हैं। श्रद्धालु उन्हें गाय के घी से बनी सफेद चीजें अर्पित करते हैं।
अन्य स्वरूपों के भोग:
मां ब्रह्मचारिणी (दूसरा दिन): मिश्री, चीनी और पंचामृत।
मां चंद्रघंटा (तीसरा दिन): दूध और दूध से बनी चीजें।
मां कूष्मांडा (चौथा दिन): शुद्ध देसी घी में बने मालपुए।
मां स्कंदमाता (पंचमी): केला।
मां कात्यायनी (षष्ठी): शहद।
मां कालरात्रि (सप्तमी): गुड़ के नैवेद्य।
मां महागौरी (अष्टमी): नारियल का भोग।
मां सिद्धिदात्री (महानवमी): हलवे, चने और पूरी का भोग।
इस प्रकार, श्रद्धालु नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के सभी स्वरूपों की पूजा कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।