देहरादून: उत्तराखंड बेरोजगार संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष राम कंडवाल और प्रदेश संयोजक जितेन्द्र ध्यानी ने राज्य में कांस्टेबल भर्ती में उम्र सीमा बढ़ाने और सहायक प्रोफेसर भर्ती में API स्कोर की अनिवार्यता समाप्त करने की मांग को लेकर आमरण-अनशन शुरू किया था। चार दिनों तक चलने वाले इस अनशन के बाद प्रशासन ने उन्हें जबरन धरना स्थल से उठाकर अस्पताल में भर्ती कराया, लेकिन नेताओं और उनके समर्थकों ने संघर्ष जारी रखने की घोषणा की है।
प्रमुख मांगें:
1. कांस्टेबल भर्ती में उम्र सीमा बढ़ाना*:बेरोजगार संघ की मांग है कि उत्तराखंड में कांस्टेबल भर्ती के लिए उम्र सीमा बढ़ाई जाए, ताकि अधिक उम्मीदवार इस भर्ती प्रक्रिया में शामिल हो सकें। संघ का कहना है कि कई योग्य उम्मीदवार उम्र सीमा के कारण बाहर हो जाते हैं, और सरकार को इस पर पुनर्विचार करना चाहिए।
2.सहायक प्रोफेसर भर्ती में API स्कोर की अनिवार्यता समाप्त करना*: संघ का दूसरा प्रमुख मुद्दा सहायक प्रोफेसर की भर्ती प्रक्रिया में है। वे चाहते हैं कि API (Academic Performance Indicator) स्कोर की अनिवार्यता को समाप्त किया जाए, क्योंकि यह प्रक्रिया योग्य उम्मीदवारों के लिए बाधक बन रही है।
प्रशासन की प्रतिक्रिया:
प्रशासन का कहना है कि अनशन के चलते इन नेताओं की सेहत पर बुरा असर पड़ रहा था, जिसके कारण उन्हें धरना स्थल से उठाकर अस्पताल में भर्ती कराया गया। हालांकि, संघ और उनके समर्थकों ने इसे लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन बताया और कहा कि यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होती।
आंदोलन जारी रखने का ऐलान:
अस्पताल में भर्ती होने के बाद भी राम कंडवाल और जितेन्द्र ध्यानी ने संघर्ष को जारी रखने का ऐलान किया है। उनका कहना है, “हम तब तक नहीं रुकेंगे जब तक सरकार द्वार उकनी मांगो पर कोई उचित कारवाही नहीं की जाएगी”।
सरकार को चेतावनी:
संघ ने सरकार को साफ चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगों पर जल्द कार्रवाई नहीं की गई, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा। इसका परिणाम सरकार और प्रशासन को भुगतना पड़ेगा।
उत्तराखंड के युवाओं में रोजगार से जुड़ी इन मांगों को लेकर आक्रोश बढ़ रहा है। सरकार को अब इस पर जल्द से जल्द कदम उठाना होगा, ताकि युवाओं का भरोसा बहाल किया जा सके।