उत्तराखंड की पहाड़ियां जहां अपनी प्राकृतिक सुंदरता और शांत वातावरण के लिए जानी जाती हैं, वहीं अब कुछ भू-माफियाओं की अवैध गतिविधियों से प्रभावित हो रही हैं। मसूरी के पास स्थित पुराने प्रसिद्ध ट्रेकिंग मार्ग और शिखर फॉल जैसे पर्यटन स्थलों पर अनधिकृत कब्जों और अवैध निर्माण की घटनाएं चिंता का विषय बन गई हैं।
मखरेत गांव: प्राकृतिक सौंदर्य के केंद्र पर खतरा
माखरेट गांव, जो अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के साथ-साथ शिखर फॉल के प्राकृतिक सौंदर्य का केंद्र है, अब भू-माफियाओं की गतिविधियों के निशाने पर है। स्थानीय निवासियों ने इस क्षेत्र में अवैध प्लॉटिंग और निर्माण कार्य की शिकायतें की हैं। बताया जा रहा है कि कुछ प्रभावशाली व्यक्तियों ने गांव की जमीन पर कब्जा कर उसे व्यवसायिक उपयोग के लिए तैयार करना शुरू कर दिया है।
प्रशासनिक नियमों की अनदेखी
उदय उत्तराखंड न्यूज़ की टीम ने जब मामले की गहराई से जांच की तो पाया कि इस निर्माण कार्य के लिए जरूरी विभागीय अनुमति नहीं ली गई है।
वन विभाग:बिना अनुमति के पेड़ों की कटाई और भूमि परिवर्तन किया जा रहा है। खनन विभाग:भारी मशीनों से खुदाई कार्य जारी है जबकि खनन के लिए कोई वैध लाइसेंस नहीं मिला।
पर्यावरण विभाग:पर्यावरणीय मंजूरी के बिना ही भूमि को व्यवसायिक भूमि में बदला जा रहा है। राजस्व विभाग:भूमि के स्वामित्व और उपयोग की प्रकृति को लेकर नियमों का उल्लंघन हो रहा है।
स्थानीय शिकायतें और प्रशासन की चुप्पी
स्थानीय ग्रामीणों ने कई बार प्रशासन से शिकायत की है, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। टीम की रिपोर्ट के अनुसार, भारी मशीनों का उपयोग खुलेआम किया जा रहा है और निर्माण कार्य तेज़ी से आगे बढ़ रहा है।
ग्राउंड रिपोर्ट: अवैध गतिविधियों का पर्दाफाश
ग्राउंड पर मौजूद उदय उत्तराखंड न्यूज़ की टीम ने जब घटनास्थल का निरीक्षण किया तो पाया कि स्थिति प्रशासनिक दावों के विपरीत है। मशीनों की आवाज: मौके पर अब भी खुदाई और निर्माण कार्य चल रहा था। प्रभारी का बयान:कार्य में जाहुल ख़ान ने कहा कि केवल खनन विभाग से चालान कटा है, जबकि अन्य किसी विभाग से अनुमति नहीं ली गई। मौजूदा हालात: वन विभाग द्वारा पहले सील की गई जगह पर भी गतिविधियां जारी हैं। ग्रामीणों की मांग और पर्यावरणीय खतरा स्थानीय निवासी और पर्यावरण प्रेमी इस अवैध कार्य को रोकने के लिए प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि अगर समय रहते इस पर रोक नहीं लगाई गई तो न केवल गांव का प्राकृतिक संतुलन बिगड़ेगा, बल्कि स्थानीय पर्यावरण को भी गंभीर क्षति पहुंचेगी।
सख्त कार्रवाई की आवश्यकता
इस मुद्दे को लेकर उदय उत्तराखंड न्यूज़ ने पुरानी और वर्तमान तस्वीरों के साथ संबंधित अधिकारियों के सामने मामले को रखने की योजना बनाई है। उम्मीद की जा रही है कि दोषियों पर जल्द से जल्द सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी ताकि उत्तराखंड की प्राकृतिक विरासत को संरक्षित किया जा सके।
निष्कर्ष
उत्तराखंड जैसे राज्य में जहां पर्यटन और पर्यावरण का संतुलन बनाए रखना बेहद आवश्यक है, वहां इस तरह की गतिविधियां न केवल नियमों का उल्लंघन करती हैं बल्कि प्रदेश की छवि को भी नुकसान पहुंचाती हैं। जनता और प्रशासन को मिलकर इस समस्या के समाधान की दिशा में काम करना होगा।