मसूरी और लंढौर की ऐतिहासिक धरोहरों में शुमार, प्रसिद्ध कोहिनूर बिल्डिंग को एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) और मसूरी नगर पालिका के आदेशों के तहत ध्वस्त कर दिया गया है। कोहिनूर बिल्डिंग का निर्माण वर्ष 1890 में एक भारतीय बैंकर द्वारा किया गया था, जो भगवान दास बैंक के स्वामी थे। यह पाँच मंजिला इमारत उस समय की भव्यता और वास्तुकला का प्रतीक थी और मसूरी के प्रतिष्ठित स्थलों में गिनी जाती थी। अपने समय में यहाँ भगवान दास बैंक की शाखा भी स्थापित थी, जिससे यह व्यापारिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण थी।
20वीं सदी के मध्य तक, इस इमारत में कई संपन्न परिवार निवास करते थे, और यह मसूरी की समृद्ध संस्कृति का प्रतीक बन गई थी। हालाँकि, समय के साथ यह इमारत जर्जर हो गई और निवास योग्य नहीं रही, जिससे इसके गिरने का खतरा बढ़ गया था। नगर पालिका द्वारा इसे उन 19 जर्जर भवनों की सूची में शामिल किया गया था जिन्हें सुरक्षा कारणों से ध्वस्त करना जरूरी समझा गया।
एनजीटी और नगर पालिका के निर्देशों के बाद, आखिरकार इसे ध्वस्त कर दिया गया, जिससे क्षेत्र में रह रहे लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। इस ध्वस्तीकरण पर स्थानीय निवासियों और इतिहास प्रेमियों की मिश्रित प्रतिक्रियाएँ हैं; कुछ इसे मसूरी की सांस्कृतिक पहचान पर क्षति मानते हैं, तो कुछ इसे आवश्यक सुरक्षा उपाय मानते हैं।
इस ध्वस्तीकरण के साथ मसूरी ने अपने अतीत के एक महत्वपूर्ण अध्याय को विदाई दी। हालांकि कोहिनूर बिल्डिंग अब नहीं रही, लेकिन इसका ऐतिहासिक महत्व और पुराने समय की भव्यता लोगों के दिलों में हमेशा बनी रहेगी।