उत्तराखंड में राज्य आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों को सरकारी नौकरियों में 10% क्षैतिज आरक्षण का लाभ मिलने का रास्ता साफ हो गया है। राज्य सरकार ने इस संबंध में आदेश जारी कर आरक्षण का प्रारूप भी तैयार कर लिया है। यह निर्णय आंदोलनकारियों और उनके परिवारों के लिए एक बड़ी राहत के रूप में देखा जा रहा है, जो लंबे समय से इस मांग को लेकर संघर्षरत थे।
आरक्षण लागू करने की प्रक्रिया
मार्च 2024 में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की कैबिनेट ने आंदोलनकारियों को 10% क्षैतिज आरक्षण देने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। इसके बाद विधानसभा में बिल को पास करवा लिया गया था। राज्यपाल की स्वीकृति प्राप्त होने के बाद अब सरकार ने इस संबंध में अंतिम आदेश जारी कर दिया है।
यह फैसला राज्य आंदोलनकारियों की वर्षों पुरानी मांग को पूरा करता है, जिसमें उन्होंने सरकारी सेवाओं में आरक्षण की व्यवस्था लागू करने की मांग की थी। आंदोलनकारियों का कहना था कि राज्य निर्माण के दौरान उन्होंने अपनी जान और संपत्ति की कुर्बानी दी थी, और अब उनके परिवारों को इस योगदान का सम्मान मिलना चाहिए।
लंबे संघर्ष और कोर्ट का मामला
राज्य आंदोलनकारी और उनके परिवार लंबे समय से आरक्षण के लिए सरकार से अपील कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कई बार प्रदर्शन भी किए, लेकिन मामला कोर्ट में होने के कारण इसमें देरी होती रही। कोर्ट के दिशा-निर्देशों के तहत सरकार ने मार्च में इस प्रस्ताव को कैबिनेट से पास करवाया और सदन में बिल लाने का निर्णय लिया।
अब, सभी प्रक्रियाओं को पूरा करने के बाद, शासन स्तर पर इस फैसले का आदेश जारी कर दिया गया है। आदेश के साथ ही आरक्षण से संबंधित प्रारूप भी तैयार कर लिया गया है, जिससे इस व्यवस्था को लागू करने में कोई कानूनी अड़चन न आए।
आंदोलनकारियों की प्रतिक्रिया
इस फैसले को लेकर राज्य आंदोलनकारियों और उनके परिवारों में खुशी का माहौल है। आंदोलनकारी नेताओं ने सरकार के इस कदम की सराहना की है और इसे न्याय की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया है। उनका कहना है कि यह निर्णय राज्य निर्माण में योगदान देने वालों के बलिदान को सही मायने में मान्यता देता है।
क्या है क्षैतिज आरक्षण?
क्षैतिज आरक्षण का मतलब है कि यह आरक्षण अन्य श्रेणियों (जैसे सामान्य, ओबीसी, एससी, एसटी) के भीतर दिया जाएगा। इसका सीधा अर्थ है कि आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों को 10% आरक्षण का लाभ सभी वर्गों में समान रूप से मिलेगा।
आगे की प्रक्रिया
अब, आरक्षण लागू होने के बाद, सभी सरकारी नौकरियों में राज्य आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों के लिए 10% सीटें आरक्षित होंगी। इसके लिए भर्ती प्रक्रियाओं में नई व्यवस्था लागू की जाएगी।
यह फैसला राज्य आंदोलनकारियों के संघर्ष को सम्मान देने और उनके परिवारों को स्थिरता प्रदान करने के लिए मील का पत्थर साबित होगा।