देवबंगला की प्राकृतिक सुंदरता से छेड़छाड़ पर उठे सवाल, स्थानीयों में नाराजगी

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चकराता | 2815 मीटर की ऊंचाई पर स्थित ऐतिहासिक स्थल पर सौंदर्यीकरण कार्य बना विवाद का कारण

चकराता की सुरम्य वादियों में स्थित ब्रिटिशकालीन देवन बंगला इन दिनों चर्चा का केंद्र बना हुआ है। 1886 में अंग्रेजों द्वारा निर्मित और 1954 में तत्कालीन उत्तर प्रदेश राज्यपाल केएम मुंशी द्वारा पुनः उद्घाटनित यह धरोहर अपने प्राकृतिक सौंदर्य और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध रही है। हर साल सैकड़ों पर्यटक इसकी शांत वादियों और विरासत की छांव में समय बिताने आते हैं।

हाल ही में इस धरोहर के रूप-सौंदर्य में किए जा रहे बदलावों को लेकर स्थानीय लोगों में रोष है। वन विभाग के अंतर्गत न आकर यह कार्य इको टूरिज्म कॉरपोरेशन के माध्यम से किया जा रहा है, जिसमें प्लाई बोर्ड और लोहे की चादरों से संरचना को नया रूप दिया जा रहा है। इस कार्य को स्थानीय युवाओं ने ऐतिहासिक पहचान और प्राकृतिक स्वरूप से ‘छेड़छाड़’ करार दिया है।

 

स्थानीयों का विरोध

भाजपा युवा मोर्चा के मंडल अध्यक्ष जयवीर चौहान, अजीत चौहान, सुरेश प्रसाद थपलियाल (पूर्व प्रधान), अनुज चौहान, कुलदीप चौहान और टीकम सिंह चौहान समेत कई स्थानीय नागरिकों ने इस कार्य पर कड़ा ऐतराज जताया है। इनका कहना है कि किसी भी कीमत पर इस विरासत की मूल पहचान से समझौता नहीं किया जा सकता। जल्द ही वे डीएफओ कार्यालय जाकर अपनी आपत्ति दर्ज कराने की योजना बना रहे हैं।

वन विभाग ने दी सफाई

वन प्रभागीय अधिकारी (DFO) अभिमन्यु सिंह ने इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए स्पष्ट किया कि देवन बंगले में चल रहा कार्य उनके विभाग के माध्यम से नहीं, बल्कि राज्य सरकार के इको टूरिज्म कॉरपोरेशन द्वारा किया जा रहा है। मुख्यमंत्री के निर्देशों के तहत राज्य के गेस्ट हाउसों को पर्यटक-अनुकूल बनाने की योजना के अंतर्गत यह कार्य हो रहा है, जिससे पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ-साथ स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर मिल सकें।

उन्होंने भरोसा दिलाया कि स्थानीय लोगों की भावनाओं का पूरा सम्मान किया जाएगा और संबंधित विभागों के समक्ष उनकी बात रखी जाएगी। साथ ही यह भी आश्वासन दिया कि ऐतिहासिक स्थल की मूल संरचना और प्राकृतिक सौंदर्य को बनाए रखने के लिए हरसंभव प्रयास किया जाएगा।

टिप्पणी:यह खबर चकराता की सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण और पर्यटन विकास के संतुलन को लेकर एक महत्वपूर्ण बहस की ओर इशारा करती है।

 

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