नगर पालिका चुनाव: भाजपा मसूरी मंडल में वार्ड आरक्षण पर मंथन, कार्यकर्ताओं की आपत्तियां सुनी गईं

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मसूरी:  आगामी नगर पालिका चुनावों को लेकर भाजपा मसूरी मंडल में शनिवार को वार्ड आरक्षण और अध्यक्ष पद को लेकर बैठक आयोजित की गई। राधाकृष्ण मंदिर सभागार में आयोजित इस बैठक की अध्यक्षता मसूरी प्रभारी एवं राज्यमंत्री कैलाश पंत ने की। बैठक में वार्ड आरक्षण पर कार्यकर्ताओं की आपत्तियों को सुना गया और सुझाव लिए गए। हालांकि, नगर पालिका अध्यक्ष पद को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई।

कैलाश पंत ने बैठक में कहा कि वार्ड आरक्षण पर आई आपत्तियों पर विचार किया जाएगा और जरूरत पड़ी तो उचित बदलाव भी किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि यह प्रक्रिया पूरे उत्तराखंड में चल रही है और सभी नगर निकायों में आपत्तियों का समाधान किया जाएगा। उन्होंने कार्यकर्ताओं को आश्वस्त किया कि उनकी नाराजगी दूर कर सभी को पार्टी से जोड़कर रखा जाएगा।

ओबीसी महिला आरक्षण पर चर्चा 

नगर पालिका अध्यक्ष पद को ओबीसी महिला के लिए आरक्षित किए जाने के फैसले पर कुछ कार्यकर्ताओं ने नाराजगी जताई। भाजपा मसूरी मंडल अध्यक्ष राकेश रावत ने कहा कि जिन कार्यकर्ताओं को आपत्ति है, उनकी शिकायतों को महानगर स्तर पर भेजा जाएगा और इस पर सात दिनों के भीतर निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने भरोसा जताया कि भाजपा इस बार नगर पालिका में भारी बहुमत से बोर्ड बनाएगी।

भाजपा महानगर उपाध्यक्ष पुष्पा पडियार ने ओबीसी महिला आरक्षण का विरोध करते हुए इसे सामान्य महिला के लिए आरक्षित करने की मांग की। उन्होंने बाहरी प्रत्याशियों को लेकर भी नाराजगी जताई और निर्दलीय महिला को चुनाव में उतारने का सुझाव दिया।

भाजपा महिला कार्यकर्ताओं की नाराजगी

भाजपा मंडल मंत्री नमिता कुमाई ने कहा कि यदि उन्हें इस बार टिकट नहीं दिया गया तो वह 500 सदस्यों के साथ भाजपा से इस्तीफा दे देंगी। उन्होंने बताया कि वह लंबे समय से पार्टी के लिए समर्पित होकर कार्य कर रही हैं और इस मुद्दे पर अन्याय नहीं सहेंगी।

कार्यकर्ताओं का जोश और समर्थन

बैठक में भाजपा के वरिष्ठ कार्यकर्ता, पूर्व पालिकाध्यक्ष ओपी उनियाल,  पूर्व मंडल अध्यक्ष मोहन पेटवाल, अनीता सक्सेना सहित बड़ी संख्या में कार्यकर्ता मौजूद रहे। कार्यकर्ताओं ने जोर दिया कि चुनाव में भाजपा की जीत सुनिश्चित करने के लिए सभी एकजुट होकर काम करेंगे।

बैठक का मुख्य उद्देश्य नगर पालिका चुनावों में पार्टी की रणनीति तय करना और कार्यकर्ताओं की आपत्तियों को समाधान के लिए आगे बढ़ाना था।

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