उत्तराखंड क्रांतिदल (उक्रांद) के नेतृत्व में 24 अक्टूबर को देहरादून में आयोजित होने वाली तांडव रैली का समर्थन करने के लिए मसूरी में विभिन्न संगठनों के साथ बैठक आयोजित की गई। इस दौरान शहीद स्थल पर आयोजित सभा में वक्ताओं ने कहा कि उत्तराखंड में बाहरी लोगों द्वारा जमीन खरीदने और सरकारी नौकरियों में स्थानीय निवासियों की अनदेखी की जा रही है।
उन्हें मानना है कि सख्त भूकानून और मूल निवास का होना अत्यंत आवश्यक है। वक्ताओं ने संविधान के अनुसार 1950 के आधार पर उत्तराखंड में मूल निवास लागू करने की मांग की। इसके अलावा, हिमालयी राज्यों की तरह अनुच्छेद 371 के तहत भू कानून लागू करने, गैर सैंण को राजधानी बनाने और राज्य की संपत्तियों को वापस लेने की बात भी की गई।
उक्रांद के केंद्रीय प्रवक्ता शांति प्रसाद भट्ट ने कहा कि राज्य के गठन के 24 वर्ष बाद भी जनता की समस्याओं की अनदेखी हो रही है। उन्होंने चेताया कि अगर हालात नहीं बदले, तो उत्तराखंड का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है। मसूरी के अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद सेमवाल ने भी भाजपा और कांग्रेस के नेताओं की दोहरी भूमिका पर सवाल उठाए और तांडव रैली में बड़ी संख्या में लोगों की भागीदारी की बात कही।
राज्य आंदोलनकारी प्रदीप भंडारी ने कहा कि रैली को मिल रहा समर्थन राज्य आंदोलन की याद दिला रहा है। इस बैठक में मजदूर संघ, टैक्सी यूनियन, और व्यापारियों सहित कई संगठनों के प्रतिनिधि मौजूद रहे।