बद्रीनाथ से कांग्रेस प्रत्याशी लखपत बुटोला की शानदार जीत

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बद्रीनाथ: उत्तराखण्ड की दोनों सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने झंडे गाड़ दिए। मंगलौर से कांग्रेस प्रत्याशी काजी निजामुद्दीन और बदरीनाथ सीट से पहली बार चुनाव लड़े लखपत बुटोला ने जीत हासिल की। बुटोला ने कांग्रेस छोड़ भाजपा के प्रत्याशी बने राजेन्द्र भंडारी को 5095 मतों के अंतर से हरा दिया। उधर, मंगलौर में कांग्रेस प्रत्याशी की जीत के बाद पुनर्मतगणना की जा रही है। भाजपा की मांग पर बूथ 135,134,122, 123 पर दोबारा गिनती की खबर है।अतिरिक्त बल फ़ोर्स तैनात किया गया है।

शनिवार की सुबह हुई मतगणना के पहले चक्र से ही कांग्रेस प्रत्याशी बुटोलाबढ़त बनाने में कामयाब रहे। पंद्रह राउंड तक चली मतगणना में लखपत बुटोला ने भाजपा प्रत्याशी राजेन्द्र सिंह भण्डारी को 5096 मतों के अंतर से हराया। बुटोला को 27696 व भंडारी को 22601 मत मिले। इस सीट पर 52 प्रतिशत मतदान हुआ था। जबकि 2022 की मोदी लहर में बदरीनाथ सीट पर 65 प्रतिशत मतदान हुआ।

बहरहाल, बदरीनाथ सीट पर राजेन्द्र भंडारी की हार भाजपा के लिए बड़ा झटका मानी जा रही है। 2022 में कांग्रेस के टिकट पर बदरीनाथ से चुनाव जीते भंडारी लोकसभा चुनाव में पाला बदलते हुए भाजपा में शामिल हो गए थे। हालांकि, लोकसभा चुनाव में मोदी के प्रभाव की वजह से बदरीनाथ सीट पर भाजपा 8 हजार की लीड लेने में सफल रही थी। यही आत्मविश्वास भाजपा को ले डूबा।

लोकसभा चुनाव के नतीजे के बाद कांग्रेस प्रत्याशी गणेश गोदियाल ने बदरीनाथ सीट पर दौरा जारी रखा। और राजेंद्र भंडारी की ओर से मिले ‘राजनीतिक धोखे’ की कहानी गांव गांव को बताते रहे। और मतदाताओं से भंडारी को सबक सिखाने की बात भी कहते रहे। यही नहीं, 2022 के विधानसभा चुनाव में भंडारी का ब्राह्मणों के विरोध में कही गयी बातों का ऑडियो जारी होना भी भाजपा का खेल खराब कर गया।

यही नहीं, 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को कांग्रेस के मंच से कोसने के ठीक अगले दिन भाजपा में शामिल हो जाना भी मतदाताओं को अखर गया। इससे जुड़ा वीडियो और जोशीमठ आपदा को विपक्ष ने खूब गरमाया। बदरीनाथ सीट पर कांग्रेस की जीत से यह भी साफ हो गया है कि क्षेत्र के मतदाताओं ने भंडारी के दलबदल को पसंद नहीं किया। और पहली बार विधायकी का चुनाव लड़े लखपत बुटोला को जिता दिया। उपचुनाव परिणाम के बाद भाजपा खेमे में भंडारी समेत अन्य नेताओं को लोकसभा चुनाव के समय पार्टी में लाना भी बहस का मुद्दा बन गया है। भाजपा के निष्ठावान कार्यकर्ता अन्य दलों से आई भीड़ को लेकर पहले से ही असहज हैं।